इस दिन जारी होगा झारखंड 12th आर्ट्स और कमर्स का रिजल्ट

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 Written By Santosh Rana  JAC 12th Arts Results #JAC12thArtsresults #JACArtscommerceResult2023 JAC Board Arts Commerce Result 2023:जैक बोर्ड ने मैट्रिक एवं इंटर साइंस का रिजल्ट जारी करने के बाद कॉमर्स एवं आर्ट्स का रिजल्ट जारी करने की तैयारी में लग गया था जैसा कि जैक बोर्ड ने बताया था कि मैट्रिक एवं इंटर साइंस के रिजल्ट जारी होने के 1 सप्ताह बाद आर्ट्स एवं कॉमर्स का रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा तो फाइनली जैक बोर्ड के तरफ से सारी तैयारी भी पूरी कर ली गई है एवं रिजल्ट अब कभी भी जारी किया जा सकता है. जैक बोर्ड के अर्थ में तकरीबन 2.12 परीक्षार्थी शामिल हुए थे वही कॉमर्स में तकरीबन 38000 परीक्षार्थी शामिल हुए थे इन विद्यार्थियों का रिजल्ट का इंतजार बहुत ही जल्दी खत्म होने वाला है क्योंकि जैक बोर्ड के तरफ से कक्षा 12वीं आर्ट्स एवं कॉमर्स का रिजल्ट 30 मई को ही जारी कर दिया जाएगा. जैक बोर्ड रिजल्ट की सारी प्रक्रिया सोमवार यानी कि 29 मई को तक पूरी कर ली जाएगी एवं रिजल्ट 30 मई को जारी कर दिया जाएगा वहीं अगर इसमें 1 दिन की देरी हुई तो रिजल्ट 31 मई को जारी किया जाएगा और यह रिजल्ट दोपहर के 2:...

रक्षाबंधन क्या है| What is Rakshabandhan in hindi

रक्षाबंधन क्या है तथा रक्षाबंधन का महत्व What is Rakshabandhan 


 दोस्तो  रक्षाबंधन भाई -बहन का प्यार का त्योहार है ।जो सावन मास के पूर्णमासी में मनाया जाता है।इस त्योहार में बहन भाई के हाथों में रखी बांधते हैं।और प्यार से मिठाई भी खिलाते हैं।


                

     रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन का महत्व सच में सबसे अलग होता है. ऐसा भाई बहन का प्यार शायद ही आपको कहीं और देखने को मिले किसी दुसरे त्यौहार में. ये परंपरा भारत में काफी प्रचलित है और इसे श्रावन पूर्णिमा के लिए मनाया जाता है.

यह एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें की बहन भाई के हाथों में राखी बांधकर उससे अपने रक्षा की कसम लेती है. वहीँ भाई का भी ये कर्तव्य होता है की वो किसी भी परिस्थिति में अपने बहन की रक्षा करे. सच में ऐसा पवित्र पर्व आपको दुनिया में कहीं और देखने को न मिले.

राखी का त्यौहार श्रावन के महीने में पड़ता है, इस महीने में गर्मी के बाद बारिस हो रही होती है, समुद्र भी शांत होता है और पुर वातावरण भी काफी मनमोहक होता है.

ये महिना सभी किशानों, मछवारे और सामुद्रिक यात्रा करने वाले व्यवसायों के लिए भी काफी महत्व रखता है. रक्षाबंधन को नारियली पूर्णिमा भी कहा जाता है भारत के सामुद्रिक तट इलाकों में. इस दिन वर्षा के देवता इंद्र और सुमद्र के देवता वरुण की पूजा की जाती है. वहीँ देवताओं को नारियल अर्पण किये जाते हैं और खुशहाली की कामना की जाती है.

इसमें नारियल को समुद्र में फेंका जाता है या कोई दुसरे पानी के जगह में. लोगों का मानना है की प्रभु श्रीराम भी माता सीता को छुड़ाने के लिए इसी दिन अपनी यात्रा प्रारंभ की थी. उन्होंने समुद्र को पत्थरों से निर्मित पुल के माध्यम से पार किया था जिसे की वानर सेना ने बनाया था. नारियल के उपरी भाग में जो तीन छोटे छोटे गड्ढे होते हैं उसे प्रभु शिवजी का माना जाता है.

मछवारे भी अपने मछली पकड़ने की शुरुवात इसी दिन से करते हैं क्यूंकि इस समय समुद्र शांत होता है और उन्हें पानी में जाने में कोई खतरा नहीं होता है.

किशानों के लिए ये दिन कजरी पूर्णिमा होता है. किशान इसी दिन से ही अपने खेतों में गेहूं की बिज बोते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं भगवान से.

ये दिन ब्राह्मणों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होता है. क्यूंकि इस दिन वो अपने जनेयु को बदलते हैं मन्त्रों के उचार्रण के साथ. वहीँ वो इस पूर्णिमा को ऋषि तर्पण भी कहते हैं. वहीँ विधि के ख़त्म हो जाने के बाद ये आपस में नारियल से निर्मित मिठाई खाते हैं.   


रक्षाबंधन क्या है और क्यों इसे मनाया जाता है




रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर बलि राजा के अभिमान को इसी दिन चकानाचूर किया था। इसलिए यह त्योहार 'बलेव' नाम से भी प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र राज्य में नारियल पूर्णिमा या श्रावणी के नाम से यह त्योहार विख्यात है। इस दिन लोग नदी या समुद्र के तट पर जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं।

रक्षाबंधन के संबंध में एक अन्य पौराणिक कथा भी प्रसिद्ध है। देवों और दानवों के युद्ध में जब देवता हारने लगे, तब वे देवराज इंद्र के पास गए। देवताओं को भयभीत देखकर इंद्राणी ने उनके हाथों में रक्षासूत्र बाँध दिया। इससे देवताओं का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने दानवों पर विजय प्राप्त की। तभी से राखी बाँधने की प्रथा शुरू हुई। दूसरी मान्यता के अनुसार ऋषि-मुनियों के उपदेश की पूर्णाहुति इसी दिन होती है। राजाओं के हाथों में रक्षासूत्र बाँधते थे। इसलिए आज भी इस दिन ब्राह्मण अपने यजमानों को राखी बाँधते हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई को प्यार से राखी बाँधती है और उसके लिए अनेक शुभकामनाएँ करती है। भाई अपनी बहन को यथाशक्ति उपहार देता है। बीते हुए बचपन की झूमती हुई याद भाई-बहन की आँखों के सामने नाचने लगती है। सचमुच, रक्षाबंधन का त्योहार हर भाई को बहन के प्रति अपने कर्तव्य की याद दिलाता है।

राखी के इन धागों ने अनेक कुरबानियाँ कराई हैं। चित्तौड़ की राजमाता कर्मवती ने मुग़ल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर अपना भाई बनाया था और वह भी संकट के समय बहन कर्मवती की रक्षा के लिए चित्तौड़ आ पहुँचा था। आजकल तो बहन भाई को राखी बाँध देती है और भाई बहन को कुछ उपहार देकर अपना कर्तव्य पूरा कर लेता है। लोग इस बात को भूल गए हैं कि राखी के धागों का संबंध मन की पवित्र भावनाओं से। रक्षाबंधन भाई बहन का एक ऐसा त्योहार है जो भाई का प्यार मिलना चाहिए। भाई बहन का एक ऐसा पवित्र रिश्ता है जो जिंदगी भर निभाना  चहिय।
लेकिन आज कल लोग भाई के हाथ मे राखी बांधते हैं और उसके बदले में कोई उपहार देते हैं बस प्यार वही खत्म कर देते हैं।तो दोस्तो  भाई बहन का प्यार ऐसा रहना चाहिए जिसे जिंदगी भर नही भूलना चाहिए और हमेशा अपनी बहन का खयाल रखना चाहिए ।भाई को चाहिए कि  हर एक कर्तब्य अपनी बहन का पालन करना चाहिए ।

 रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है?

सभी त्योहारों के तरह ही रक्षा बंधन को मनाने की एक विधि होती है जिसका पालन करना बहुत ही आवश्यक होता है.
चलिए इस विषय में विस्तार में जानते हैं.

रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लेना होता है. इससे मन और शरीर दोनों ही पवित्र हो जाता है. फिर सबसे पहले भगवान की पूजा की जाती है. पुरे घर को साफ कर चरों तरफ गंगा जल का छिडकाव किया जाता है.

अब बात आती है राखी बांधने की. इसमें पहले राखी की थाली को सजाया जाता है. रक्षाबधंन के प्रवित्र त्याहार के दिन पितल की थाली मे ऱाखी ,चंदन ,दीपक ,कुमकुम, हल्दी,चावल के दाने नारियेल ओर मिठाई रखी जाती है.

अब भाई को बुलाया जाता है और उन्हें एक साफ़ स्थान में नीचे बिठाया जाता है. फिर शुरू होता है राखी बांधने की विधि.सबसे पहले थाली के दीये को जलाती है, फिर बहन भाई के माथे पर तिलक चन्दन लगाती है. वहीँ फिर भाई की आरती करती है.

उसके बाद वो अक्षत फेंकती हुई मन्त्रों का उच्चारण करती है. और फिर भाई के कलाई में राखी बांधती है. वहीँ फिर उसे मिठाई भी खिलाती है. यदि भाई बड़ा हुआ तब बहन उसके चरण स्पर्श करती है वहीँ छोटा हुआ तब भाई करता है.

अब भाई अपने बहन को भेंट प्रदान करता है. जिसे की बहन खुशी खुशी लेती है. एक बात की जब तक राखी की विधि पूरी न हो जाये तब तक दोनों को भूका ही रहना पड़ता है. इसके पश्चात राखी का रस्म पूरा होता है.


         रक्षाबंधन त्योहार भाई - बहन का प्यार 


दोस्तों इस लेख में हमने रक्षाबंधन त्यौहार के बारे में बताया है तो दोस्तों  यह लेख कैसा लगा कमेंट में मुझे जरूर बताए

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